Tuesday, October 11, 2011

Parmatm Prakash Bharill: तुम मगर थकते नहीं

Parmatm Prakash Bharill: तुम मगर थकते नहीं: क्यों आज अपने आप को , हम बदल सकते नहीं हो संतुष्ट अपने आप से ,ऐसे तो तुम लगते नहीं तब कौनसी बाधाएं हें , बो कौनसी मजबूरियाँ बिन परिण...

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