व्यवहार में अत्यंत कोमल दिखने वाला व्यक्ति अपने सिद्धांतों के पालन में अत्यंत कठोर होता है क्योंकि सिद्धांतों के कठोरता पूर्वक पालन के विना वह जगत के प्रति अपने कोमल व्यवहार की रक्षा नहीं कर सकता , पालन नहीं कर सकता .
किसे कोमल कहें और किसे कठोर ?
तनिक गहराई से विचार करेंगे तो हमें अपनी कोमलता और कठोरता की परिभाषाएं बदल देनी पड़ेंगीं , विशेषकर व्यक्तित्वों के सन्दर्भ में .
प्रकट तौर पर अत्यंत कोमल , सरल और विनीत दिखने वाला व्यक्ति अंतर में अत्यंत कठोर होता है , वह अपने अंतर में विद्यमान नैतिक विचारों में अत्यंत दृढ होता है और किसी भी कीमत पर अपने सिद्धांतों से च्युत नहीं होता है . यदि विश्वास नहीं होता है तो प्रयोग करके देखिये जितना अधिक उसे उसके सिद्धांतों से डिगाने का प्रयास करेंगे उसके व्यवहार में कठोरता प्रकट होती जायेगी .
वस्तुत: सिध्हान्तों के प्रति उसकी यह कठोरता या कहें द्रढ़ता सम्पूर्ण मानवता और श्राष्टि के प्रति उसके अंतर में विद्यमान अत्यंत कोमल परिणामों का प्रतिफल है , वह सबके प्रति न्यायपूर्ण ,कोमल , ममत्वपूर्ण बना रहे इसके लिए यह जरूरी है क़ि वह नैतिकता के मापदंडों का कठोरता पूर्वक पालन करे .
कोई यदि अपने इमानदारी के सिद्धांतों का कठोरता पूर्वक पालन नहीं करेगा तो तो जगत के प्रति इमानदार कैसे रह पायेगा ? जितने अंशों में वह अपने इमानदारी के सिद्धांत की कट्टरता छोड़ देगा उतने अंशों में वह बेईमान हो जाएगा .
बस यह़ी उसका बेईमानी भरा व्यवहार जगत के प्रति उसकी कठोरता या निर्ममता या द्वेष है .
इसी तरह यदि कोई अपनी अथाह दयालुता को व्यवहार में लाना चाहता है तो उसे अपने अहिंसक आचरण का पालन कठोरता के साथ करना ही होगा , वह जितने अंशों में अपने दयालुता के सिद्धांत के प्रति कट्टरता छोड़ देगा , उतने अंशों में कम दयालू हो जाएगा और तब उसकी दयालुता की कमी जगत के प्रति उतने अंशों में क्रूरता के रूप में प्रकट होगी .
अब आप ही कहिये क़ि क्या व्यवहार में दिखने वाली कोमलता क्या कठोर सिद्धान्तवादिता का परिणाम नहीं है और क्या वह कठोर सिद्धान्तवादिता अंतर में विद्यमान अन्यंत कोमल भावनाओं का अपरिणाम नहीं हें ?
इस प्रकार हम देखते हें क़ि अंतर में विद्यमान कोमलता जीवन में स्थपित करने के लिए अपने आचरण और व्यवहार में अत्यंत कठोर बनना पड़ता है और सिद्धांतवादी व्यक्ति प्रकट व्यवहार में सिर्फ तभी तक विनम्र दिखाई दे सकता है जबतक क़ि उसकी नैतिकता पर आंच न आये .
कोई व्यक्ति अकेला कठोर या अकेला कोमल नहीं हो सकता है , व्यक्तित्व के ये दोनों ही गुण एक दूसरे के पूरक हें ,कवच हें .
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