Monday, June 11, 2012

ये फ्यूचर का भूत भी बड़ी ही डरावनी चीज है और इसलिए वे बड़े कायर होते हें जिनके सामने फ्यूचर है किसका जितना बड़ा फ्यूचर वह उतना ही बड़ा कायर

ये फ्यूचर का भूत भी बड़ी ही डरावनी चीज है 
और इसलिए वे बड़े कायर होते हें जिनके सामने फ्यूचर है 
किसका जितना बड़ा फ्यूचर वह उतना ही बड़ा कायर 
बड़े से मेरा तात्पर्य विशालता से भी है और लम्बे समय से भी 
जो अपने लिया जितना उंचा , विशाल और ब्राईट फ्यूचर देखता , कल्पना करता है वह उतना ही अधिक डरता है अनहोनी की कल्पना से .
और जिसने अपने लिए जितने लम्बे काल के भविष्य की कल्पना की है उसकी आशंकाएं भी उतनी ही अधिक हें .
इसलिए जो जितना छोटा होता है (उम्र में और उपलब्धियों में ) वह उतना ही अधिक डरता है .
जिसके पास खोने के लिए कुछ होता है वह सबसे डरता है , दबता है .
जिसे जितना अधिक पाना शेष है वह उतना ही अधिक डरता है
जिसे जितना अधिक पाने की आशा या लालसा है वह उतना ही अधिक डरता है
जो डरता है वह झुकता है , समझौते करता है
समझौता करना यानी अपना जायज हक़ छोड़ना .
जिसने सब कुछ पा लिया , जिसे अब कुछ पाना शेष नहीं , जिसे और कुछ पाने की अभिलाषा नहीं , जिसे और कुछ मिलने की आशा नहीं
वह निडर होने लगता है .
अन्ना के पास मात्र अतीत है , अब उनके पास लंबा फ्यूचर नहीं है .
उन्हें जो पाना था वे पा चुके हें अब उन्हें कुछ पाना शेष नहीं है
उनके पास खोने को कुछ नहीं है
ऐसे में उन्हें किसी से आशा , अपक्षा , भय या लोभ नहीं है
तब वे नाजायज बातों पर क्यों समझौता करेंगे , किसी के सामने क्यों झुकेंगे
इसलिए मैं कहता हूँ क़ि " आखिर अन्ना नहीं तो कौन "

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