Friday, December 21, 2012

बो देखो बो कैसा फुटपाथ पर पडा है अपने पूरे परिवार के साथ और मैं यहाँ अपनी अट्टालिका के झरोखे में खडा हूँ . क्या फर्क है हम दोनों में ?


हम क्या कर रहे हें , किस दिशा में जा रहे हें , हमें स्वयं नहीं मालूम . जीवन क्या है , कैसे जीना चाहिए , क्या कर्तव्य है और क्या न करने योग्य इसका निर्णय करके , कर्तव्य पूरा करने में ही जीवन की सार्थकता है -

बो देखो बो कैसा फुटपाथ पर पडा है अपने पूरे परिवार के साथ और मैं यहाँ अपनी अट्टालिका के झरोखे में खडा हूँ .
क्या फर्क है हम दोनों में ?

- सबसे बड़ा फर्क है की वह और उसका पूरा परिवार संतुष्ट हें और मैं तथा मेरे दूर-पास के सभी परिजन असंतुष्ट .

- मुझे दुनिया से बहुत कुछ लेना है और दुनिया को बहुत कुछ देना है , उसे न तो राम से कुछ लेना है और न ही रहीम को कुछ देना है .

- उसके पास खोने को कुछ नहीं और मेरी सबसे बड़ी चिंता का बिषय है सुरक्षा .

- उसे जो पाने की चाहत है वह उसके लिए हर दिन सुलभ है और मेरी चाहत अनंत है , कभी पूरी न होने वाली .

- वह हर पल उपलब्ध है और मैं हर पल व्यस्त .

- उसके परिवार का हर सदस्य स्वाबलंबी है , मेरे यहाँ मुझ सहित सभी लोग पराबलम्बी और दूसरोँ पर आश्रित है

- उसका भोजन का इंतजाम हो जाए उसके बाद उसे कोई काम नहीं , भोजन का इंतजाम मेरे लिए कोई काम नहीं .

- वह अपने सम्पत्ति (उसके पास जो जितना है) का स्वयं उपभोक्ता है , मैं अपनी दौलत का सिर्फ मैनेजर और रक्षक हूँ .

- उसके पास जो कुछ भी है वह सार्थक है , उसके काम आता है ( चींथडा या कचरा ही सही ) , मेरे पास जो कुछ भी है वह मेरे किसी काम का नहीं .

- उसकी सामग्री उसके काम की है , मेरी सामग्री सिर्फ दिखावटी .

- उसका एक-एक पैसा उसके काम आता है , मैं अपनी दौलत के लिए काम करता हूँ .

- उसका जीवन अपने और अपनों के लिए है , मेरे पास स्वयं मेरे लिए और अपनों के लिए इस जीवन में कोई समय नहीं .

- न उसे किसी से गिला शिकवा है और नं किसी को उससे , मुझे किससे शिकवा नहीं और किसे मुझसे शिकवा नहीं ?

- उसका हर कदम सार्थक है , बिना प्रयोजन के कुछ नहीं , मेरा हर काम दिखाबटी है , खोखला व्यवहार , सार्थक कुछ भी नहीं .

- वह अपने में मस्त है और मैं थोथे व्यवहार में व्यस्त .

- उसका काम उसके काम आता , मेरा काम मेरे काम नहीं आता .

- उसे कुछ भी मिल जाये खुशी देता है,मुझे कुछ भी क्यों न मिल जाये , ख़ुशी नहीं मिलती

- उसके सभी अपने उसके आसपास ही हें , मेरा दूर-दूर तक कोई अपना नहीं है .

- वह सोकर सपने देखता है , मैं सपनों के लिए जागता हूँ .

- वह दौड़-दौड़कर थक जाता है , मैं थकने के लिए दौड़ता हूँ जिम में )

- वह निस्पृह है , मैं तन्मय 

- उसके पास सबके लिए जगह है , मानव , पशु , कितने ही , मेरे यहाँ तो मच्छर भी नहीं निभ सकता .

- उसका सब कुछ असली है , मेरा जीवन स्पेयर पार्ट्स (सब बदल गया है या रिपेयर्ड ) पर टिका है (आँख , दांत , कान , हार्ट , किडनी , लीवर , घुटने )

- उसे कोई चोट परेशान नहीं करती , मैं मच्छर के डंक से ही विचलित हो जाता हूँ .


- वह स्वतंत्र है , मैं  बंधा हूँ . 
  उसके पास कोई पता (एड्रेस) नहीं , वह स्वतंत्र है , वह जब चाहे,जहां चाहे ठहर जाता है , मैं अपने पते (एड्रेस यानि खूंटे से) से बंधा हूँ , मुझे हर शाम आकर उसी खूंटे से बंध जाना जरूरी है .

- वह अपने से है , सर्टीफिकेट से नहीं , मैं सर्टीफिकेट से हूँ अपने आप से नहीं .
  मेरे पास यदि जन्म का प्रमाणपत्र है तो ही मैं जन्मा हूँ , शादी के प्रमाणपत्र से मैं परिणित हूँ , जीवित होने का प्रमाणपत्र है तो ही मैं जीवित हूँ और तो और म्रत्यु प्रमाण पत्र पाने के बाद ही मैं मर भी सकूंगा .
  यदि प्रमाण पत्र नहीं तो मैं कुछ भी नहीं .
  उसे अपने जन्मने , जीने या मरने के लिए किसी कागज़ के दुकड़े की जरूरत नहीं , वह खुद से है 



जीवन में वह सब ज्यादा जरूरी है जो उसे हासिल है पर मुझे नहीं , तब किसका जीवन सफल और सम्पूर्ण है और किसका असफल और आधा-अधूरा , कहने की जरूरत नहीं .
उसके पास जो कुछ है , उससे यदि जीवन चलता है तो उसके अतिरिक्त जो कुछ मेरे पास है वह सब तो व्यर्थ ही हैं न , और वही  "अतिरिक्त " अनर्थ का सृजन करता है .
क्यों न मैं अपने आप को इस "अतिरिक्त " (अतिरिक्त दौलत , परिग्रह , गतिविधियाँ , व्यवहार आदि सब कुछ ) से मुक्त करलूं और वह करूं जो सचमुच इस जीवन में करने योग्य है . आत्मा का (अपना ) कल्याण .

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