आज क्यों मैं इस मौत को कोसता हूँ कि यह बेवफा हो गयी है , इसका तो बादा था कि एक न एक दिन अवश्य ही आयेगी सो अपना बादा निभाने चली आयी , बेवफा यदि कोई हुआ है तो वह जिदगी हुई है जो जीवन भर कभी मुझे एक पल के लिए भी अपनी बफादारी के बारे में आश्वस्त तो न कर सकी और आज अचानक इस तरह मेरा साथ छोड़ने के लिए तत्पर हो गई .
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Parmatm Prakash Bharill: जीवन के यदि कुछ ही दिन शेष हों तो उनका उपयोग किस प...: MODIFIED & ADDED ARTICLE - अभी तो मैं जबान हूँ , अभी तो सारा जीवन पड़ा है , अभी तो बहुत जीना है , यह कपोल कल्पना है जो हमें इस तरह से ...
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