प्यास बुझ जाने के बाद इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है क़ि पिया गया पानी ठंडा था या गर्म , मीठा (शरबत) था या सादा .
पेट भर जाने के बाद इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता है क़ि छप्पन भोग का भोजन किया गया है या क़ि रूखे -सूखे रोटले से पेट भरा गया है , अब पेट भर जाने के बाद कोई भी सुस्वादु भोजन नहीं भाता है और तो और यदि कोई जबरदस्ती खिलाने की कोशिश करे तो उबकाई आने लगती है .
इस सब से साबित होता है क़ि हमारी जरूरत भोजन की है , सुस्वादु भोजन की नहीं .
हमारी जरूरत पानी की है ठन्डे , या मीठे या रंगीन पानी की नहीं .
इसी फार्मूले को यदि सब चीजों पर लागू कर लिया जाबे तो हम पायेंगे क़ि हमारी जरूरतें बहुत ही कम रह जायेंगीं , जैसे क़ि -
हमें रहने के लिए घर चाहिए , बड़ा , सुन्दर और सुसज्जित घर नहीं .
हमें तन ढकने के लिए कपडे चाहिए , कीमती , सुन्दर , डिजायनर कपडे नहीं .
आदि आदि .
यदि जरूरतें घट जायेंगीं तो कम कमाना पडेगा , तब कम काम करना पडेगा , कम समय देना होगा .
यदि ऐसा हो जाए तो हमारे पास हमारे अपने लिए काफी समय होगा .
क्या आपको अपने लिए समय नहीं चाहिए ?
पेट भर जाने के बाद इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता है क़ि छप्पन भोग का भोजन किया गया है या क़ि रूखे -सूखे रोटले से पेट भरा गया है , अब पेट भर जाने के बाद कोई भी सुस्वादु भोजन नहीं भाता है और तो और यदि कोई जबरदस्ती खिलाने की कोशिश करे तो उबकाई आने लगती है .
इस सब से साबित होता है क़ि हमारी जरूरत भोजन की है , सुस्वादु भोजन की नहीं .
हमारी जरूरत पानी की है ठन्डे , या मीठे या रंगीन पानी की नहीं .
इसी फार्मूले को यदि सब चीजों पर लागू कर लिया जाबे तो हम पायेंगे क़ि हमारी जरूरतें बहुत ही कम रह जायेंगीं , जैसे क़ि -
हमें रहने के लिए घर चाहिए , बड़ा , सुन्दर और सुसज्जित घर नहीं .
हमें तन ढकने के लिए कपडे चाहिए , कीमती , सुन्दर , डिजायनर कपडे नहीं .
आदि आदि .
यदि जरूरतें घट जायेंगीं तो कम कमाना पडेगा , तब कम काम करना पडेगा , कम समय देना होगा .
यदि ऐसा हो जाए तो हमारे पास हमारे अपने लिए काफी समय होगा .
क्या आपको अपने लिए समय नहीं चाहिए ?
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