Tuesday, July 17, 2012

अब तक तो तू अपने अज्ञान के संरक्षण में ही लगा रहा , अपने मत की पुश्टी और प्रचार में ही लगा रहा , अपनी जिद पर ही अड़ा रहा . अब जब मौत की घड़ी भी आ ही गई है तब भी क्या जिद ही करता रहेगा ? अरे ! किसी के मिथ्या मत की पुष्टी या किसी व्यक्ति जयजयकार से तुझे क्या मिलेगा ? तेरे जयजयकार करने से उसे भी क्या मिलने वाला है ? उसे भी कुछ न मिलेगा और तू भी संसार में भटकेगा . अरे ! इस बिदाई की वेला में अब तो इमानदार हो जा ! अब भी सुधर गया तो तेरा कल्याण होगा !

अब तक तो तूने बहुत ही मनमानी की है , स्वयं अपने साथ छल किया है , पर अब तो चलने का समय आ गया है ,क्या अब भी यह़ी करेगा ?
अरे ! अब तो सुधर जा !
अब तो ज़रा विचार कर क़ि चलने का समय तो आ ही गया है , पर क्या तू सचमुच ही चल पड़ने को तैयार है ?
क्या तैयारी की है तूने ?
अरे ! एक दिन के लिए आसपास की यात्रा पर जाता है तो तैयारी में ही २ दिन लगा देता है .
अब इतनी लम्बी यात्रा पर जाना है तो क्या तैयारी है तेरी ?
यूं तो यह तैयारी जीवन भर होनी चाहिए थी , पर जीवन तो तूने छल में ही गुजार दिया .
कहता है " कौन जाने पुर्नजन्म होता भी है या नहीं , इस जीवन के बाद यह आत्मा रहेगा भी या नहीं "
यदि नहीं रहता तो क्या अब तू सदा के लिए नष्ट हो जाने को तैयार है ?
यदि नहीं तो फिर बतलाता क्यों नहीं क्या तैयारी है तेरी ?
यदि अब तक कुछ नहीं किया है तो क्या अब भी नहीं करना है ?
अरे ! अब भी सुधर जा !
देर तो हो गई पर अंधेर नहीं है .
अब भी यदि तू अपने को पहिचान ले , अपने आत्मा को , अपने आप को स्वीकार करले तो तू इस भव भ्रमण से छूट सकता है .
यदि इतना कर लिया तो यह जीवन सफल हो जाएगा , यह भव , भव का अभाव करने बाला साबित होगा .
अब तक तो तू अपने अज्ञान के संरक्षण में ही लगा रहा , अपने मत की पुश्टी और प्रचार में ही लगा रहा , अपनी जिद पर ही अड़ा रहा .
अब जब मौत की घड़ी भी आ ही गई है तब भी क्या जिद ही करता रहेगा ?
अरे ! किसी के मिथ्या मत की पुष्टी या किसी व्यक्ति जयजयकार से तुझे क्या मिलेगा ?
तेरे जयजयकार करने से उसे भी क्या मिलने वाला है ?
उसे भी कुछ न मिलेगा और तू भी संसार में भटकेगा .
अरे ! इस बिदाई की वेला में अब तो इमानदार हो जा !
अब भी सुधर गया तो तेरा कल्याण होगा !

No comments:

Post a Comment