Sunday, July 22, 2012

तुझे जगत के अनन्त बिषयों को जानने की लालसा है , पर यदि तू अनन्त को जानने की कोशिश में रहेगा तो कुछ न जान पायेगा . एक आत्मा को जान ले तो जगत के सारे पदार्थ युगपत तेरे ज्ञान में आजायेंगे . तू सर्वज्ञ हो जाएगा .

 यद्यपि तुझे जीवन में बहुत कुछ चाहिए , जीवन से बहुत कुछ चाहिए बहुत कुछ करना है इस जीवन में , पर तू और कुछ करता दिखता ही नहीं है .
तू तो सिर्फ धन कमाने के फेर में ही दिखाई देता है .
ऐसा क्यों हुआ ?
क्यों होता है ऐसा ?
क्या कभी तूने विचार किया है ?
अरे ! विचार हम करते ही कहाँ हें ?
ऐसा इसलिए हुआ क़ि धन हमारी आकांक्षाओं का केंद्र बिंदु बन गया है .
ऐसा क्यों हुआ ?
क्योंकि हमें ऐसा लगता है क़ि जीवन में हमें जो कुछ भी चाहिए वह इस पैसे से मिल सकता है .
इसलिए हम उन सब चीजों के पीछे नहीं दौड़ते हें जो हमें चाहिए , यदि उनके पीछे दौड़ेंगे तो कुछ न मिलेगा .
हम उसके पीछे दौड़ते हें जिससे वह सब मिल सकता है 
" एकै साधै सब सधै , सब साधै सब जाय "
बस यह़ी बात धर्म के मामले में सत्य है .
तुझे जगत के अनन्त बिषयों को जानने की लालसा है , पर यदि तू अनन्त को जानने की कोशिश में रहेगा तो कुछ न जान पायेगा .
एक आत्मा को जान ले तो जगत के सारे पदार्थ युगपत तेरे ज्ञान में आजायेंगे .
तू सर्वज्ञ हो जाएगा .

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