Thursday, August 30, 2012

-कहने को तो इतने बड़े संसार में कितने लोग अपने हें ; इतने परिजन , सगे-संबंधी , मित्र , सहकारी , सहचारी , साथ रहने वाले , हमदर्द और न जाने कौन-कौन ; पर एक व्यथा हो तो कोई दिखाई ही नहीं देता क़ि किससे बांटूं . अरे ! व्यथा ही क्या , खुशियाँ भी !

-कहने को तो इतने बड़े संसार में कितने लोग अपने हें ; इतने परिजन , सगे-संबंधी , मित्र , सहकारी , सहचारी , साथ रहने वाले , हमदर्द और न जाने कौन-कौन ; पर एक व्यथा हो तो कोई दिखाई ही नहीं देता क़ि किससे बांटूं .
अरे ! व्यथा ही क्या , खुशियाँ भी !




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