हर जगह सीमाएं हें , हर जगह बंधन हें .
इनसे मुक्त कोई जगह नहीं है .
सीमाएं और बंधन सिर्फ उन्हें महसूस होते हें जो सीमाओं का उलंघन करना चाहते हें , अन्य लोगों को तो सीमाओं का पता ही नहीं चलता है .
यदि मैं अपने घर में हूँ और कोई बाहर से ताला लगाकर चलता बना तो अब मैं बंधन में तो हूँ , एक सीमा में सीमित तो हूँ पर यदि मुझे बाहर जाने का विकल्प ही न आबे तो उस बंद ताले का मेरे लिए क्या मतलब है ?
जो सीमाओं को तोड़ना चाहते हें वे या तो विरले होते हें या अपराधी किस्म के .
कहा गया है क़ि " लीक छोड़ तीनों चलें , शायर , सिंह , सपूत " मैं इसमें एक और नाम जोड़ना चाहता हूँ " कपूत ".
यूं जो सीमाओं का पालन करते हें वे सीमाओं के अन्दर स्व्क्छन्द विचरण करने के लिए स्वतंत्र होते हें पर वे जो सीमाओं का उलंघन करते हें वे और भी सीमित ( कैद ) कर दिए जाते हें .
" हर व्यक्ति अपनी सीमाओं में स्वतंत्र है और स्वतंत्रता की भी सीमाएं होती हें "
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