क्या हम नहीं जानते हें क़ि बे जो भी बोल रहे हें बे उनके खुदके विचार नहीं हें , ऐसा बोलने के लिए उन्हें किसी ने करोड़ों रूपये दिए हें और बे करोड़ों रूपये आपसे ही बसूले भी जाने हें -------------
---------------तब भी हम उनकी बिकी हुई बातों पर भरोसा कर लेते हें , ( यदि नहीं किया होता तो ये विज्ञापन का गोरखधंधा कबका ही बंद हो गया होता न ) कैसे हें हम लोग ?कितने बुद्धीमान (यानि महामूर्ख) हें हम लोग .
Parmatm Prakash Bharill: जब हम किसी महापुरुष (तथाकथित) के मुख से किसी वस्तु...: जब हम किसी महापुरुष (तथाकथित) के मुख से किसी वस्तु का विज्ञापन सुनते और देखते हें तब क्या हम यह नहीं जानते हें क़ि ये जो सज्जन आपको आपके ...
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