Wednesday, August 1, 2012

Parmatm Prakash Bharill: जब हम किसी महापुरुष (तथाकथित) के मुख से किसी वस्तु...

क्या हम नहीं जानते हें क़ि बे जो भी बोल रहे हें बे उनके खुदके विचार नहीं हें ऐसा बोलने के लिए उन्हें किसी ने करोड़ों रूपये दिए हें और बे करोड़ों रूपये आपसे ही बसूले भी जाने हें -------------
---------------तब भी हम उनकी बिकी हुई बातों पर भरोसा कर लेते हें , ( यदि नहीं किया होता तो ये विज्ञापन का गोरखधंधा कबका ही बंद हो गया होता न ) कैसे हें हम लोग ?
कितने बुद्धीमान (यानि महामूर्ख) हें हम लोग .

Parmatm Prakash Bharill: जब हम किसी महापुरुष (तथाकथित) के मुख से किसी वस्तु...: जब हम किसी महापुरुष  (तथाकथित)  के मुख से किसी वस्तु का विज्ञापन सुनते और देखते हें तब क्या हम यह नहीं जानते हें क़ि ये जो सज्जन आपको आपके ...

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