Friday, April 12, 2013

----सचमुच एकता स्थापित करना कोई काम ही नहीं है . सामान रूचि , योग्यता , विचार धारा और भवितव्य वाले लोग स्वत: एक हो जाते हें , एकत्र हो जाते हें , एक योग्य स्थान पर .

कुछ लोग ऐसे कामों में लगे रहते हें जो सचमुच तो कोई काम ही नहीं हें , और यही लोग अपने आप को सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति मानते हें और अपने काम को सबसे महत्वपूर्ण काम .

----सचमुच एकता स्थापित करना कोई काम ही नहीं है .
सामान रूचि , योग्यता , विचार धारा और भवितव्य वाले लोग स्वत: एक हो जाते हें , एकत्र हो जाते हें , एक योग्य स्थान पर .

------जिनकी रूचि , वृत्ति और क्रिया कलाप उनसे मेल नहीं खाते वे कदाचित भटककर उनके बीच पहुँच गए हों तो कालान्तर में स्वयं ही अलग हो जाते हें , अलग दिखने लगते हें .
उनका अलग होना फूट नहीं है , बिखराब नहीं कहलाता है , यह तो शुद्धीकरण की प्रक्रिया है , यह तो सम्पन्न होती ही रहनी चाहिए .

शान्ति स्थापित करना भी कोई काम नहीं है , सभी लोग किसी अन्य के काम में दखल दिए बिना अपना - अपना काम करते रहें , सभी ओर स्वत: ही शान्ति बनी रहेगी .
कब तक ?
जब तक कुछ लोग शांत रहिये - शांत रहिये का शोर मचाना प्रारम्भ न करदें , तब तक .

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