विचारों का मात्र वाणी से ही नहीं होता है , शब्दों के साथ हमारा स्वभाव , व्यक्तित्व , रीति-नीति , वातावरण , माहोल , इरादे और लहजा सभी बोलते -
आपसी संबाद यूं तो बहुत आसान है यदि इरादे नेक हों , आपसी विश्वास और सद्भावना हो , एक दुसरे की रीति - नीति और व्यक्तित्व से हम परिचित हों .
यदि यह सब न हो या इनमें से कोई भी एक कमी हो तो सिर्फ शब्दों में सामर्थ्य नहीं कि आपका सही अभिप्राय व्यक्त कर सकें .
यदि कोई आपको परेशान करना चाहे और आपको संकट में ही डालना चाहे तो यह हम सभी की सामर्थ्य से बाहर की बात है कि शब्दों के दुरूपयोग को रोका जा सके .
एक बालक माँ की और एक माँ उसके अबोध बालक की बातें बिना भाषा के ही समझ लेते हें उनके बीच एक गहन सद्भावना , स्नेह ,समर्पण और विशवास का सम्बन्ध होता है .
आपसी संबाद यूं तो बहुत आसान है यदि इरादे नेक हों , आपसी विश्वास और सद्भावना हो , एक दुसरे की रीति - नीति और व्यक्तित्व से हम परिचित हों .
यदि यह सब न हो या इनमें से कोई भी एक कमी हो तो सिर्फ शब्दों में सामर्थ्य नहीं कि आपका सही अभिप्राय व्यक्त कर सकें .
यदि कोई आपको परेशान करना चाहे और आपको संकट में ही डालना चाहे तो यह हम सभी की सामर्थ्य से बाहर की बात है कि शब्दों के दुरूपयोग को रोका जा सके .
एक बालक माँ की और एक माँ उसके अबोध बालक की बातें बिना भाषा के ही समझ लेते हें उनके बीच एक गहन सद्भावना , स्नेह ,समर्पण और विशवास का सम्बन्ध होता है .
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