Saturday, May 11, 2013

काम तो होना ही है , किया ही जाना है , यदि आप नहीं कर पाते हें तो वह काम करने वाले का स्थान रिक्त हो जाएगा और कोई रिक्तता रह नहीं सकती , वहां कोई आ ही जाएगा .

आप अपने कर्तव्य का पालन न करके एक रिक्तता पैदा करते हें , जहां रिक्तता होगी वहां कोई आ बैठेगा , आप पदच्युत हो जायेंगे .
यदि आप चाहते हें कि आपके ऊपर एक और अधिकारी की नियुक्ति न हो या आप अपने स्थान से हटा न दिए जाएँ तो अपना काम कुशलता पूर्वक अवश्य ही करते रहें .
ऐसा करके आप किसी के ऊपर अहसान नहीं करते हें , स्वयं अपनी मदद करते हें और ऐसा नहीं करके आप स्वयं अपने आप को संकट में डालते हें .
दुनिया में जो काम होना है सो तो होना है .
यदि एक नहीं करेगा तो दूसरा करेगा .
यदि आप अपना काम नहीं करेंगे तो दूसरा करेगा .
पर यह प्रसन्नता की नहीं खतरे वाली बात है , ऐसा करके आप अपना स्थान खो देंगे , आपका स्थान वह ले लेगा .
प्रगति करने का उपाय तो यह है कि हम अपना काम तो भली भांति पूरा करें ही ( यह तो वहां टिके रहने के लिए जरूरी है , जहां अभी हम हें ) पर उससे बढ़कर हम वह काम भी अपने हाथ में ले लें जो हमारे ऊपर वाला करता है .
स्वाभाविक है कि ऐसा करने से हमारा कद बढ़ जाएगा , हम कुछ ऊपर उठ जायेंगे .
याद रखिये , दुनिया में सारे काम सहायक लोग करते हें , बॉस लोग अपने सहायकों से काम करबाते हें .
क्यों ? क्योंकि बॉस लोग यह जानते हें कि क्या , कब , क्यों और कैसे और किस कीमत पर किया जाना है , और कौन यह काम कर सकता है
यदि काम करने वाला स्वयं उक्त तथ्यों को ( क्या , कब , क्यों , कैसे, किस कीमत पर और कौन ) समझने लगे तो वह अपने आपको बॉस के स्थान पर स्थापित करने लगता है .
बॉस की उपयोगिता तब तक ही बनी रहती है जब तक कि काम करने वालों को कदम - कदम पर उनके निर्देशों की जरूरत बनी रहती है . जब काम करने वाले लोग बिना अपने बॉस के निर्देशों के ही अपना सारा काम , सही प्रकार से , सही समय पर पूरा करने लगते हें तो वे अपने बॉस को सेवा निवृत होने का अवसर प्रदान करने लगते हें और बॉस के स्थान पर दस्तक देने लगते हें , अपना दाबा प्रस्तुत करने लगते हें . ऐसे लोग कदाचित संयोगों के अनुरूप भौतिक रूप से बॉस के पद पर बिराजमान हो पायें या न हो पायें किन्तु वे स्वयं अपने बॉस बन तो जाते ही हें , क्योंकि अब उन्हें किसी बौस से निर्दश लेने की आवश्यकता नहीं रही .
यह भी कुछ कम नहीं , ऐसा होने पर उन्हें उपयुक्त अधिकारोँ का उपयोग करने का अवसर भी मिलने लगता है और उपयुक्त सम्मान भी . साथ ही बॉस की ओर से स्वाभाविक रूप से समय - समय पर मिलने वाली प्रताड़ना से जो मुक्ति मिल जाती है वह क्या कम उपलब्धि है ?
उक्त तथ्य के विपरीत यदि कोइ सहायक या कार्यकर्ता अपने बॉस के निर्देशों को समझ नहीं पाता है या उसके निर्देशों के अनुरूप
" क्या , कब , क्यों , कैसे, और किस कीमत पर " इन तथ्यों को समझ नहीं पाता है , और इनके अनुरूप भलीभाँती अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर पाता है तो वह अपने और अपने बॉस के बीच एक और अधिकारी के होने की आवश्यकता स्थापित करने लगता है , स्वयं एक और पायदान नीचे खिसकने की तैयारी करने लगता है .
यहाँ एक तथ्य और महत्वपूर्ण है कि यदि आप अपने बॉस की जिम्मेदारियां स्वयं वहन करने लगें तो भी शायद आपको भौतिक तौर पर अपने बॉस की सीट शायद कभी भी न मिले पर यदि आप अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से नहीं करते हें तो आपका पद आपसे छिन अवश्य जाएगा , वहां कोई और आ जाएगा , क्योंकि वह काम तो होना ही है , किया ही जाना है , यदि आप नहीं कर पाते हें तो वह काम करने वाले का स्थान रिक्त हो जाएगा और कोई रिक्तता रह नहीं सकती , वहां  कोई आ ही जाएगा .
बॉस का स्थान आपको मिलने की गारन्टी इसलिए नहीं है कि वहां तो रिक्तता ही कहाँ है , वहां तो पहिले ही कोई बैठा है जो अपना काम भली भाँती कर रहा है .
बस यही दुनिया की हकीकत है और यही दुनिया का न्याय .
यदि आप चाहते हें कि आपके ऊपर एक और अधिकारी की नियुक्ति न हो या आप अपने स्थान से हटा न दिए जाएँ तो अपना काम कुशलता पूर्वक अवश्य ही करते रहें .
ऐसा करके आप किसी के ऊपर अहसान नहीं करते हें , स्वयं अपनी मदद करते हें और ऐसा नहीं करके आप स्वयं अपने आप को संकट में डालते हें .

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