यदि तू अतीत को भूलना ही नहीं चाहता है , प्रतिपल उसी का रोना लेकर बैठ जाता है तो इसका मतलब तो साफ़ है कि तू अब कभी भी अपने दुर्भाग्य की लकीरों को मिटाना ही नहीं चाहता है
जो वक्त बीत चुका है उसका घटनाक्रम तत्समय में कीलित हो चुका है , उसका हर्ष-विलाप तो किया जा सकता है पर उसमें कोई परिवर्तन संभव नहीं है यह बात तो ज्ञानी - अज्ञानी सभी स्वीकार करते हें न ?
अब यदि तू अतीत को भूलना ही नहीं चाहता है , प्रतिपल उसी का रोना लेकर बैठ जाता है तो इसका मतलब तो साफ़ है कि तू अब कभी भी अपने दुर्भाग्य की लकीरों को मिटाना ही नहीं चाहता है , बस उन्हीं के साथ जीना चाहता है .
ऐसे हालात में तो कोई भी तेरा भला नहीं कर सकता है .
जो हो चुका है उसे भूल जा भविष्य को संवारने का प्रयास कर , तेरा कल्याण होगा .
जो वक्त बीत चुका है उसका घटनाक्रम तत्समय में कीलित हो चुका है , उसका हर्ष-विलाप तो किया जा सकता है पर उसमें कोई परिवर्तन संभव नहीं है यह बात तो ज्ञानी - अज्ञानी सभी स्वीकार करते हें न ?
अब यदि तू अतीत को भूलना ही नहीं चाहता है , प्रतिपल उसी का रोना लेकर बैठ जाता है तो इसका मतलब तो साफ़ है कि तू अब कभी भी अपने दुर्भाग्य की लकीरों को मिटाना ही नहीं चाहता है , बस उन्हीं के साथ जीना चाहता है .
ऐसे हालात में तो कोई भी तेरा भला नहीं कर सकता है .
जो हो चुका है उसे भूल जा भविष्य को संवारने का प्रयास कर , तेरा कल्याण होगा .
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