Tuesday, July 30, 2013

क्यों किसी मुकाम पर , ठहर नहीं जाते हें लोग

जहां तक नजर जाती है , दौड़ते नजर आते हें लोग 
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल )


जहां तक नजर जाती है , दौड़ते नजर आते हें लोग 
क्यों  किसी  मुकाम  पर , ठहर  नहीं  जाते हें लोग 

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