अन्धकार में हो तुम , तुम्हें अंधेरा नजर आता है
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
अन्धकार में हो तुम , तुम्हें अंधेरा नजर आता है
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
अन्धकार में हो तुम , तुम्हें अंधेरा नजर आता है
हमें तो हर रात ही , बस सबेरा नजर आता है
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