जाने क्यों नियत अपनी , ज़माने से छुपाते हें लोग
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
जाने क्यों नियत अपनी , ज़माने से छुपाते हें लोग
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
जाने क्यों नियत अपनी , ज़माने से छुपाते हें लोग
छुपाये छुपता नहीं ,राज दिलका जान जाते हें लोग
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