पुत्र अनेकांत को जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
(कविता )
विजय श्री तत्पर रहे ,तुम्हारा वरण करने के लिए
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
(कविता )
विजय श्री तत्पर रहे ,तुम्हारा वरण करने के लिए
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
ना जिन्दगी हमको मिली है , बोझ ढ़ोने के लिए
ना कोई भी कारण मिले, इक पल भी रोने के लिए
प्रति प्रात जब सूरज उगे , प्रभात करने के लिए
अंधेरा कहीं ना टिक सके,कालिख उगलने के लिए
चन्दा भी लालायित रहे , आताप हरने के लिए
विजय श्री तत्पर रहे ,तुम्हारा वरण करने के लिए
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