Monday, September 9, 2013

बस इसी अज्ञानवश , संसार में यह भ्रमा

बस इसी अज्ञानवश , संसार में यह भ्रमा 
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

अनादि से यह आत्मा , कर्म का कर्ता बना 
बस इसी अज्ञानवश , संसार में यह भ्रमा 
निषेधती इस वृत्ति को,सत्यार्थ को प्रकाशती 
देशना सर्वज्ञ की , जिनवानि माता भारती 

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