कमाल है ! इस दुनिया में सब कुछ चलता है .
सब कुछ ; झूंठ - सच .
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
आप सफ़ेद झूंठ बोलो , मानने वाले मिल जायेंगे .
कुछ भी बातें बनाना शुरू करदो , बेसिरपैर की , १०० - ५० चेले मिल ही जायेंगे .
कोई भी अंध विश्वास फैला दो , आपके पीछे दौड़ने वालों का रेला इकट्ठा हो जाएगा .
ये चल क्या रहा है दुनिया में ?
कहने को तो बुद्धी का इतना विकास हो गया है , पर जहां देखो वहां बस गप्पों का ही साम्राज्य है .
आत्मा-परमात्मा से लेकर मर्ज और इलाज तक , हर बिषय पर कोई भी शुरू हो जाता है , अपनी - अपनी व्याख्या करने लगता है और लोग आँखें फाड़ - फाड़कर देखने लगते हें , उसकी बातें सुनकर झूमने लगते हें , हाँ में हाँ मिलाने लगते हें .
कहीं तर्क का कोई काम ही नहीं .
आपकी बातों में कितना भी विरोधाभास क्यों न हो , कितना ही पूर्वापर ( आगे और पीछे कही गई बातों में अंतर ) विरोध क्यों न हो , सब चल जाता है .
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