कमाल हें हम !
हमें धर्म से भी संसार ही चाहिए
हमें तो अमृत पीकर भी नशा ही चाहिए
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
अरे ! हें न नशे की दुकानें , वहां जा न ? यदि नशा ही चाहिए तो।
यदि संसार ही बढ़ाना है तो बिखरा तो पडा है , सराफ की दूकान में शराब क्या खोजता है ?
यदि तू संसार से उब गया हो ,
त्रस्त हुआ हो ,
अब तुझे कहीं और कोई आकर्षण न रहा हो ,
संसार में दुःख ही दुःख दिखाई देता हो ,
यदि तू अब सच्चे सुख की तलाश में हो ,
तो धर्म की शरण में आ !
तेरा कल्याण होगा
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