Wednesday, October 9, 2013

हमें तो है नहीं मालूम,किन निगाहों से तकते हें लोग

गुणों को ढकते हें लोग  (कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 
हमें तो है नहीं मालूम,किन निगाहों से तकते हें लोग 
कमियों  को  उभारें ये , हमारे गुणों को ढकते हें लोग 

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