Saturday, October 5, 2013

शौचालय या देवालय ? - "पेट में अजीर्ण अधिक हो तो बार -बार शौचालय जाने की जरूरत पड़ती है"

शौचालय या देवालय ?
(सन्दर्भ - श्री नरेन्द्र मोदी का बयान देवालय से पहिले शौचालय आवश्यक है )

पेट में अजीर्ण अधिक हो तो बार -बार शौचालय जाने की जरूरत पड़ती है , 
अजीर्ण के रोगी को तो शौचालय किसी स्वर्ग से कम नहीं है , आखिर वह भयंकर पीड़ा से तुरंत राहत जो प्रदान करता है। 
उन्हें शौचालय ही मुबारक। 
अरे बस दो ही तो उपाय हें - हवाबाण हरडे  खाना या शौचालय जाना। 
"पसंद अपनी - अपनी , ख्याल अपना - अपना "


इसीलिए तो कहते हें कि शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है , शारीरिक स्वास्थ्य का असर विचारों पर पढ़ना स्वाभाविक ही है , भला इसमें किसी का क्या दोष ?
अब आदमी दिन में चार घाट का पानी पिए तो अजीर्ण होना भी स्वाभाविक ही है , ऐसे में आपको माइंड नहीं करना चाहिए 

जिनके जीवन में शुद्धता हो और विचारों ( परिणामों ) में सात्विकता और कोमलता वे देवालय ( मंदिर ) जाना पसंद करते हें , जरूरी समझते हें 

अपने योग्य अपनी - अपनी प्राथमिकता का चुनाव आप स्वयं करें। 
किसी को दोष न दें , बुरा भला न कहें। 
सबकी अपनी - अपनी मजबूरी है। 

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