Saturday, August 23, 2014

Parmatm Prakash Bharill: क्यों अपने आप को अनजाने ही एक अन्याय कर्ता बना डाल...

Parmatm Prakash Bharill: क्यों अपने आप को अनजाने ही एक अन्याय कर्ता बना डाल...: अरे भोले ! ज़रा विचार तो कर ! ये कैसी नादानी कर बैठता है तू ! मात्र किसी एक के कहने पर तू अपने ही किसी दूसरे के प्रति अपनी ( मिथ्या ) ध...

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