अरे
भोले ! मूर्खों के संसार में बसने का नाम या शेखचिल्ली के ख़्वाब देखने का
नाम positive attitude (सकारात्मकता) नहीं हुआ करता . जो जैसा है उसे वैसा
स्वीकार करना positive attitude (सकारात्मकता) है और उसे वैसा न
मानकर अन्यथा मानना तो मूर्खता है , नकारात्मकता (negativity) है , अज्ञान है .
क्या
विष्टा को स्वर्णिम पेकिंग में पैक कर देने से वह अमृत बन जायेगी , बन सकती है ?
गलत
को गलत मानना सही है या गलत को सही मानना गलत है ?
तो
सकारात्मकता क्या हुई ?
गलत
को गलत कहना , यही न ?
गलत
को सही कहना तो नकारात्मकता हुई !
कुछ
लोगों ने तो “ गलत “ शब्द को जबान पर लाने को ही नकारात्मकता ( negetivity ) मान
लिया है और इसलिए वे सकारात्मकता के व्यामोह में और नकारात्मकता के डर से “ गलत “ नाम
का शब्द भी जवान पर लाना नहीं चाहते , झूंठे को झूंठा और मक्कार को मक्कार कहने से
डरते हें .
यदि
यह मिथ्या नहीं है तो फिर मिथ्यात्व किसे कहेंगे ?
यदि
हम पर युद्ध थोप दिया गया हो और हमारी शक्ति कम हो , हम कमजोर हों , तो युद्ध की
रणनीति बनाते वक्त , अपने core group में क्या हम अपनी कमजोरी की चर्चा और
व्याख्या नहीं करेंगे ? क्या हम अपने आगत सर्वनाश की आशंका व्यक्त नहीं करेंगे ?
यदि नहीं करेंगे तो उससे बचने का उपाय कैसे खोजेंगे ?
यदि
हमें केंसर हुआ हो तो क्या positive attitude के चक्कर में हम केंसर शब्द का
उच्चारण ही नहीं करेंगे , अपने केंसर रोग
को स्वीकार ही नहीं करेंगे ? तब फिर उसका उपचार कैसे करेंगे ?
क्या
ज़िंदा बने रहने के मिथ्या आत्मविश्वास के साथ जहर खाने से हम मरेंगे नहीं ?
मैदाने
जंग में सैनिकों का उत्साह बढाने के लिए अपनी शक्ति , बहादुरी और वलिदान की महानता
की डींगें हाकना और बात है और रणनीति बनाते समय तथ्यों की जानकारी , स्वीकृति और
चर्चा करना अलग बात है .
अपने
आप को भ्रम में रखने से कठोर हकीकतें बदला नहीं करती हें .
सत्य
को स्वीकारना ही सकारात्मकता ( positive attitude ) है और सच्चाई को झुठलाना ही
नकारात्मकता ( negative attitude ) . और इसके उलट मानना मूर्खता और अज्ञान .
attitude
की positivity सकारात्मकता हमारे विचारों और हमारे व्यवहार के सन्दर्भ में होती है
, तथ्यों की जानकारी के सन्दर्भ में नहीं . सामने वाले के व्यवहार का सत्य तथ्यों
पर आधारित आकलन करने के बाद हम उसके साथ कैसा व्यवहार करें इसका निर्णय हमारे positive
या negetive attitude से प्रभावित होता है .
तथ्यों
की व्याख्या तथ्यों पर आधारित होती है हमारे रुख पर नहीं .
सावधान
! positive attitude के व्यामोह में हम अपने आपको छलने से बचें .
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