Monday, August 3, 2015

परमात्म नीति - (13) - "---अपनी सामर्थ्य का विचार करके ही उंचाई से कूदता है---- मात्र पिता के भरोसे नहीं"

परमात्म नीति - (13)

"---अपनी सामर्थ्य का विचार करके ही उंचाई से कूदता है---- मात्र पिता के भरोसे नहीं"






- अरे ! इतनी अक्ल तो बालक में भी होती है कि हालांकि वह पिता पर पूर्ण भरोसा करता है तथापि अपनी सामर्थ्य का विचार करके ही उंचाई से कूदता है, पिता के लाख उकसाने (कहने) पर भी कि "तू कूद जा, मैं कैच कर लूंगा"; मात्र पिता के भरोसे नहीं. क्योंकि कदाचित पिताजी कैच न कर पाए तो?
क्या दुनियां को ललकारने से पहिले तूने अपनी क्षमता को परखा ?



उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.

घोषणा 


यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.
यह क्रम जारी रहेगा. 

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