jaipur,wednesday, 2 dec. 2015, 7.37 am
अरे जो जिस भाव आता है वह उसी भाव चला भी जाता है.
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल
एक राजा का राज्य छिन गया, दूसरे राजा ने उसपर आक्रमण करके उसे हरा दिया, तो वह विलाप करता है. इसे अन्याय कहता है, अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों का हनन बतलाता है.
क्या उसका यह विलाप सही है?
क्या सचमुच उसके साथ अन्याय हुआ है?
यदि इसका नाम अन्याय है तो उसे क्या कहेंगे जब उसने या उसके पुरखों ने किसी दुसरे राजा से यह राज्य छीना था?
क्या तब भी यह अन्याय नहीं था?
अरे जो जिस भाव आता है वह उसी भाव चला भी जाता है.
जो जमीन जायजाद हम दौलत देकर खरीदते हें वह दौलत लेकर बिक जाती है, चली जाती है और जो सत्ता हम जनसमर्थन के वल पर हासिल करते हें वह जनसमर्थन खोने पर चली जाती है.
जो असीमित जमीन तूने किसी से वलपूर्वक छीनी है वह उसी प्रक्रिया से चली भी जाती है और जमीन का जो छोटा सा टुकडा तूने पैसे देकर खरीदा है वह पैसों से ही बिक जाता है.
अपनी शक्ति के वल पर हासिल किये गए अधिकार व संपदा शक्ति क्षीण होने पर कैसे टिक सकती है?
अरे जो जिस भाव आता है वह उसी भाव चला भी जाता है.
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल
एक राजा का राज्य छिन गया, दूसरे राजा ने उसपर आक्रमण करके उसे हरा दिया, तो वह विलाप करता है. इसे अन्याय कहता है, अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों का हनन बतलाता है.
क्या उसका यह विलाप सही है?
क्या सचमुच उसके साथ अन्याय हुआ है?
यदि इसका नाम अन्याय है तो उसे क्या कहेंगे जब उसने या उसके पुरखों ने किसी दुसरे राजा से यह राज्य छीना था?
क्या तब भी यह अन्याय नहीं था?
अरे जो जिस भाव आता है वह उसी भाव चला भी जाता है.
जो जमीन जायजाद हम दौलत देकर खरीदते हें वह दौलत लेकर बिक जाती है, चली जाती है और जो सत्ता हम जनसमर्थन के वल पर हासिल करते हें वह जनसमर्थन खोने पर चली जाती है.
जो असीमित जमीन तूने किसी से वलपूर्वक छीनी है वह उसी प्रक्रिया से चली भी जाती है और जमीन का जो छोटा सा टुकडा तूने पैसे देकर खरीदा है वह पैसों से ही बिक जाता है.
अपनी शक्ति के वल पर हासिल किये गए अधिकार व संपदा शक्ति क्षीण होने पर कैसे टिक सकती है?
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