Thursday, September 22, 2011

हर एक हुई जो भूल हमसे , सबक लेना चाहिए

"गल्तियाँ" क्या ,क्यों और कैसे ? (14)

तू धूर्तता का त्याग कर , यदि चाहता तू प्यार है

यह काठ की हांडी अरे , ना चड़े सौ सौ बार है

हर एक हुई जो भूल हमसे , सबक लेना चाहिए

इससे अधिक क्या लाभ कि,त्रुटिहीन ही हो जाइये

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