आसमानों को मैंने , क्षितिज पर झुकते देखा है
मैंने तूफानों को भी , ठिठक कर रुकते देखा है
सब कुछ है संभव , असंभव कुछ भी नहीं है यारों
निष्ठुर इन हुक्मरानों को , मैंने सहमते देखा है
मैंने तूफानों को भी , ठिठक कर रुकते देखा है
सब कुछ है संभव , असंभव कुछ भी नहीं है यारों
निष्ठुर इन हुक्मरानों को , मैंने सहमते देखा है
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