Wednesday, July 18, 2012

क्या हमने कभी अपने समय का भी बजट बनाया है ? समय भी तो अपने पास सीमित ही है ?-----व्यर्थ की बातों में समय निकल जाएगा तो आवश्यक काम अधूरे रह जायेंगे .-------------ऐसे बहुत से काम हें जिन्हें किये बिना हमारे जीवन में कोई कमी नहीं रह जायेगी , क्यों हम उन व्यर्थ के कामों में अपना समय खराब करते हें ?--------------------क्यों हम कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हें , कुछ भी करने लगते हें .-----------------------------समय का मामला तो धन से बहुत ही ज्यादा संवेदनशील है , क्यों ?-------------समय का मामला तो धन से बहुत ही ज्यादा संवेदनशील है , क्यों ? क्योंकि धन तो हम जब और जैसे चाहें खर्च कर सकते हें और जब तक हम किसी निर्णय पर न पहुँच सकें तब तक रुक सकते हें , धन को सुरक्षित रख सकते हें , पर समय के साथ यह सुविधा हमें उपलब्ध नहीं है . यदि हम निर्णय न करें तो यह समय अनिर्णय की स्थिति में ही व्यतीत (ख़त्म ) हो जाता है , सुरक्षित नहीं रह सकता है .--------------क्या यह उचित और आवश्यक नहीं क़ि हम निर्णय करने का यह काम अभी करें , इसी वक्त ?

हम अपने खर्चे का बजट बनाते हें क्योंकि हम जानते हें क़ि हमारे पास धन राशि तो सीमित ही है और सारे काम इतने में ही निपटाने हें .
यह एक सही नीति है .
क्या हमने कभी अपने समय का भी बजट बनाया है ?
समय भी तो अपने पास सीमित ही है ?
दिन के घंटे निश्चित हें , महीने के दिन और बर्ष के महीने भी निश्चित हें .
जीवन के बर्ष भी निश्चित हें . तब क्या उचित नहीं क़ि हम अपने समय का भी बजट बनाएं ?
यदि हम अपने पैसों का बजट नहीं बनायेंगे तो अनावश्यक वस्तुओं पर पैसा खर्च हो जाएगा और फिर हमारी जरूरतें पूरी नहीं हो पाएंगीं , क्या यह़ी बात समय पर लागू  नहीं होती है ?
व्यर्थ की बातों में समय निकल जाएगा तो आवश्यक काम अधूरे रह जायेंगे .
दुनिया में वस्तुएं तो अनेकों हें , वे हमें लुभाती भी हें , पर फिर भी हम उन्हें छोड़ देते हें क्योंकि वे हमारे बजट में फिट नहीं होतीं हें , फिर भी उनके बिना भी हमारा जीवन अच्छी तरह से सफलता पूर्वक चलता रहता है न ?
इसी प्रकार ऐसे बहुत से काम हें जिन्हें किये बिना हमारे जीवन में कोई कमी नहीं रह जायेगी , क्यों हम उन व्यर्थ के कामों में अपना समय खराब करते हें ?
दुनिया में लाखों हवाई जहाज रोज उड़ते हें और वे हमें लुभाते भी हें पर दुनिया की बहुतायत जनसंख्या उनमें कभी नहीं बैठी , क्यों ? क्योंकि बहुत आकर्षक होने के बाबजूद वह जीवन के लिए आवश्यक नहीं थी और हमारे बजट में उसके लिए स्थान नहीं था .
सैर करने के लिए दुनिया में कितने रमणीय स्थान हें , देश में , विदेश में . हम कभी बहां नहीं गए , क्यों ? क्योंकि हमारे पास इस काम में खर्च करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है .
खाने - पीने , पहिनने - ओढने और रहन सहन के लिए एक से बढ़कर एक बेहतर वस्तुएं भी उपलब्ध हें और ये काम हमारे जीवन के लिए आवशयक भी हें फिर भी हम अपनी सीमा में रहकर थोड़ी कम अच्छी चीजों से अपना काम चला लेते हें क्योंकि बहुत अच्छी वस्तुएं हमारे बजट में नहीं आती हें .
यह़ी नीति हम समय के मामले में क्यों नहीं अपनाते हें ?
क्यों हम कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हें , कुछ भी करने लगते हें .
दुनिया में बहुत से लुभावने काम हें करने को पर हमें अपने प्रयोजन भूत ( जिनसे हमारा उद्देश्य पूर्ण हो ) कामों पर ध्यान देना चाहिए और अन्य कामों की उपेक्षा करनी चाहिए .
समय का मामला तो धन से बहुत ही ज्यादा संवेदनशील है , क्यों ?
क्योंकि धन तो हम जब और जैसे चाहें खर्च कर सकते हें और जब तक हम किसी निर्णय पर न पहुँच सकें तब तक रुक सकते हें , धन को सुरक्षित रख सकते हें , पर समय के साथ यह सुविधा हमें उपलब्ध नहीं है .
यदि हम निर्णय न करें तो यह समय अनिर्णय की स्थिति में ही व्यतीत (ख़त्म ) हो जाता है , सुरक्षित नहीं रह सकता है .
घंटे , दिन , हफ्ते , महीने और बर्षों इसी तरह बीत जाते हें और एक दिन तो जीवन ही ख़त्म हो जाता है और हम निर्णय ही नहीं कर पाते हें क़ि जीवन में क्या करना आवश्यक है क्या नहीं ?
किस काम में जीवन की सफलता है ?
इस जीवन का उद्देश्य क्या है , लक्ष्य क्या है .
क्या यह उचित और आवश्यक नहीं क़ि हम निर्णय करने का यह काम अभी करें , इसी वक्त ?
यदि हम ऐसा कर सके तो हमारा कल्याण होगा .

No comments:

Post a Comment