Saturday, September 1, 2012

दिन चड़े बुझे दिए की ,परवाह किसको हो , दिए की चिंता सताए, समझो रात बाकी है

ना अभी से दीपक बुझाओ , रात बाकी है 
मुंह फेरकर तू सो न जाना , बात बाकी है 
दिन चड़े बुझे दिए की ,परवाह किसको हो 
दिए की चिंता सताए, समझो रात बाकी है

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