Friday, August 31, 2012

Parmatm Prakash Bharill: ---------------सबकी परिस्थितियाँ भले ही भिन्न-भिन्...

Parmatm Prakash Bharill: ---------------सबकी परिस्थितियाँ भले ही भिन्न-भिन्...: " रहिमन मन की व्यथा है , मन ही राखौ गोय " वाह रहीमदास जी ! सारे जीवन के अनुभवों का निचोड़ २ लाइनों में लिख गए ,और मैं जीवन भर में समझ नहीं ...

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