Thursday, October 11, 2012

विज्ञान जबाब दे ! जीवन क्या है ? जीव (आत्मा) क्या है ? यह तत्व ( Elements ) है या यौगिक ( compounds ) ? यदि तत्व है तो नष्ट कैसे हो सकता है ? यदि यौगिक है तो उसकी संरचना ( composition ) बताओ ! वह बनाकर दिखाओ !! उसे नष्ट होने से रोको !!!


विज्ञान जबाब दे ! जीवन क्या है ? जीव (आत्मा) क्या है ?
यह तत्व ( Elements ) है या यौगिक (  compounds ) ?
यदि तत्व है तो नष्ट कैसे हो सकता है ? यदि यौगिक है तो उसकी संरचना ( composition ) बताओ ! वह बनाकर दिखाओ !! उसे नष्ट होने से रोको !!!

विज्ञान ने पुद्गलों को दो भागों में बांटा है , तत्व और यौगिक (Elements and compounds ).
तत्व वे मूल पदार्थ हें जो सदा रहते हें , न तो कभी नष्ट होते हें और न ही नए बनाए जा सकते हें , जैसे सोना , चांदी , आक्सीजन , हाइड्रोजन , क्लोरीन आदि .
यौगिक वे हें जो दो या अधिक मूल तत्वों से मिलकर बने हें , जैसे पानी ( H2O ) यह हाइड्रोजन के २ और आक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बना यौगिक है , यह सदा इसी रूप में रहे जरूरी नहीं है , यह बिखंडित होकर आक्सीजन और हाइड्रोजन में बदल सकता है या किसी अन्य तत्व के साथ मिलकर नया यौगिक बना सकता है .
अब मेरा कहना है की विज्ञान स्पष्ट करे कि -
जीवन क्या है ? जीव (आत्मा) क्या है ?
जीव का अस्तित्व तो है , आत्मा का अस्तित्व तो है , जीवन तो है .
इसकी विज्ञान के पास क्या व्याख्या है ?
यह तत्व ( Elements ) है या यौगिक (  compounds ) ?
यदि तत्व है तो नष्ट कैसे हो सकता है ? यदि यौगिक है तो उसकी संरचना ( composition ) बताओ ! वह बनाकर दिखाओ !! उसे नष्ट होने से रोको !!!
क्या यह महत्वपूर्ण नहीं है ?
तब क्यों विज्ञान इसके बारे में चुप है ?
क्यों नहीं स्वीकार कर लेता है कि जिस प्रकार पुद्गल द्रव्य में अनेकों तत्व पाए जाते हें जो कभी न तो उत्पन्न होते हें और न कभी नष्ट होते हें , मात्र उनका रूप परिवर्तित होता है उसी प्रकार जीव ( आत्मा ) भी एक प्रथक चैतन्य द्रव्य है जिसे न तो नया उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है , मात्र रूप परिवर्तन हो सकता .
इसी रूप परिवर्तन की प्रक्रिया के अंतर्गत यह जीव , पुद्गल के संयोग से नाना रूप धारण करता है .

गुलामी की हद तक विज्ञान के भरोसे बैठे रहने की मानसिकता वाले लोगों को समझने की जरूरत है कि विज्ञान आपके आत्म कल्याण के प्रति उत्तरदायी नहीं है .
विज्ञान जाने इसकी व्याख्या कब करे , करे भी या न करे ; पर यदि तू इसका निर्णय न कर पाया , इस सत्य को स्वीकार न कर पाया तो तेरा जीवन व्यर्थ चला जाएगा .
विज्ञान की क्या जिम्मेबारी है ?
वह अपने समय पर केंसर का इलाज खोज लेगा , खोजा तो खोजा , न खोजा तो न सही , पर जब तक नहीं खोज पायेगा तब तक विज्ञान के सहारे बैठे लोग तो केंसर से मरने को अभिशप्त हें ही न ?
क्या तू भी इसी विज्ञान के सहारे अपने आत्म कल्याण को दाब पर लगा देना चाहता है ?
आत्म कल्याण नितान्त व्यक्तिगत उत्तरदायित्व एवं विशेषाधिकार है इसका लाभ लें , उपभोग करें , उपयोग करें .
आपका कल्याण होगा .

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