जब आप किसी की भूल , गल्ती , गुस्ताखी या अपराध माफ़ नहीं कर ही नहीं पा रहे हों , चाहते हुए भी ; और उसे कठोर दंड देने के लिए उद्धत हों , कटिबद्ध हों , determined हों , तब एक बात याद करनी चाहिए -
" यदि सभी सम्बंधित लोग अब तक मेरी भूलों को अनदेखी न करते आये होते , मेरी गल्ती माफ़ न करते आये होते , मेरी गुस्ताखी माफ़ न करते आये होते , मेरे अपराधों को भी माफ़ न करते आये होते तो मेरा क्या होता ?
कहीं आप इस मुगालते में तो नहीं हें न कि आपने कभी कोई अपराध किया ही नहीं है या आज भी कभी कोई गलती करते ही नहीं हें ?
विश्वास करिए कि यह दुनिया और इस दुनिया में हम , बस इसीलिये सुरक्षित हें और जो भी हें , जैसे भी हालातों में जी रहे हें वह सिर्फ इसलिए कि यह दुनिया हमें हमारी तमाम कमियों , भूलों , गुस्ताखियों और अपराधों के साथ वर्दाश्त कर रही है .
अरे भाई ! हमारे प्रति कोई भूल , गुस्ताखी या अपराध कौन करेगा ?
वही जो हमारे निकट होगा , हमारा निकट का होगा , हमारा अपना होगा .
हमारा सगा संबंधी होगा , मित्र होगा ,सहायक होगा , सेवक होगा , पडौसी होगा , सहचारी होगा .
वह जो भी होगा हमारे काम का व्यक्ति होगा , हमारा प्रिय होगा , सही कहा न ?
अब आप ही कहिये की क्या आप ऐसे अपने प्रिय पात्रो की गल्तियों की भी अनदेखी नहीं कर सकते ? क्या आप उन्हें भी माफ़ नहीं कर सकते ?
क्या आप उन्हें दण्डित होते हुए देख पायेंगे ? क्या आप उनका विरह वर्दाश्त कर पायेंगे ?
यदि कोई कोई एक भी ऐसा मिला होता जो हमें माफ़ न कर पाता तो आज हम न होते .
कुछ ऐसे दुर्भाग्यशाली हें भी जिन्हें कोई वर्दाश्त न कर पाया और उन्हें मिटना पडा .
यदि आप चाहते हें की यह दुनिया जो भी है , जैसी भी है , बनी रहे तो क्षमादान की इस परम्परा को जीवित रखिये , अपनाइए , आगे बढ़ाइए .
अन्यथा आप ही नहीं ,यह दुनिया भी खतरे में पड जायेगी , इसका अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा और यह आपका इस दुनिया के प्रति , मानवता के प्रति भयंकर अपराध होगा .
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