Sunday, July 7, 2013

आपको रोकने के लिए भी उन्हें कुछ करना नहीं पड़ता है ,बस उनकी प्रति आपकी दुश्चिंता स्वयं ही आपको उलझाए रहती है

आपको रोकने के लिए भी उन्हें कुछ करना नहीं पड़ता है ,बस उनकी प्रति आपकी दुश्चिंता स्वयं ही आपको उलझाए रहती है-
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

यदि हमें चैन-शुकून से जीना है तो हमें सावधान रहना चाहिए कि हम अपने आसपास किसी को शत्रु न बनने दें .

शत्रु हमें निरंतर अपनी सुरक्षा की चिंता , चिंतन और इंतजाम में ही उलझाए रखते हें , न तो हमें कुछ और करने देते हें और नही आगे बढ़ने देते हें . आपको रोकने के लिए भी उन्हें कुछ करना नहीं पड़ता है ,बस उनकी प्रति आपकी दुश्चिंता स्वयं ही आपको उलझाए रहती है , आपका भय ही आपको आतंकित रखता है .

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