Thursday, September 12, 2013

Parmatm Prakash Bharill: जो भिन्न दोनों को करे,तत्समय यह निर्बंध हो

Parmatm Prakash Bharill: जो भिन्न दोनों को करे,तत्समय यह निर्बंध हो: है आत्मा करता अरे ,  क्रोधादि आश्रव कर्म हें  रे बंध का है मूल ये , मिथ्यात्व और अधर्म है  इस तरह कर्ता कर्म के , अज्ञान से नित बंध हो...

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