Sunday, September 15, 2013

Parmatm Prakash Bharill: चैतन्य जो निर्मल सदा , वह ज्ञायक परम पवित्र है

Parmatm Prakash Bharill: चैतन्य जो निर्मल सदा , वह ज्ञायक परम पवित्र है: शैवाल जल की कलुषता ज्यों,त्यों मैल आश्रव भाव है  कलुषित करें वे आत्म को , वे  नहीं आत्म स्वभाव हें  वे अशुचि हें , अपवित्र जड़ , निज  ...

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