Sunday, October 13, 2013

एक मंत्री जी को रिश्वत दीजिये , कोई काम करबाने के लिए भरपेट खाने और लम्बी डकार लेने के बाद वे कहेंगे कि - "ज़रा सेक्रेटरी को संभाल लेना , वर्ना ये लाल फीता शाही --- "

फर्क देखिये -

एक मंत्री जी को रिश्वत दीजिये , कोई काम करबाने के लिए 
भरपेट खाने और लम्बी डकार लेने के बाद वे कहेंगे कि - 
"ज़रा सेक्रेटरी को संभाल लेना , वर्ना ये लाल फीता शाही --- "

( संभाल लिए जाने के बाद ) सेक्रेटरी कहेगा , 
" ज़रा बाबू को संभाल लेना , साल्ले बड़े हरामी होते हें "

क्लर्क भी कहेगा कि 
" ज़रा पियून को खुश कर देना , उसकी मर्जी के बिना यहाँ कुछ भी नहीं हिलता "

उक्त तीनों के बीच भी एक लंबा सिलसिला है जिसे आप सभी जानते ही हें। 

अब आप क्रम को उलट दीजिये  -

किसी काम के लिए मंत्रीजी को नहीं , सचिव को भी नहीं , क्लर्क को भी नहीं , चपरासी से संपर्क कीजिये -
वह आपको एक रेट और एक डेट बतला देगा , इसमें कोई बार्गेनिग भी नहीं होगी  . 

" बोला ना ! इतना लगेगा , आपका काम हो जाएगा , 
फलां तारीख तक ----- 
बाकी सबको मैं संभाल लूंगा , आप तो घर जाकर आराम से सो जाइये बस ! 
साहब बड़े अच्छे आदमी हें बात के पक्के , ईमानदार और काम करने वाले , उन्हें जनता के दुःख-दर्द का बड़ा ख्याल है "

और आपका काम हो भी जाएगा। 

बेहतर कौन ?
शक्तिशाली कौन ?
विश्वसनीय कौन ?
कर्ता - धर्ता कौन ?

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