Monday, October 7, 2013

हमें धर्म से भी संसार ही चाहिए , हमें तो अमृत पीकर भी नशा ही चाहिए

कमाल हें हम !
हमें धर्म से भी संसार ही चाहिए 
हमें तो अमृत पीकर भी नशा ही चाहिए 
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

अरे ! हें न नशे की दुकानें , वहां जा न ? यदि नशा ही चाहिए तो। 

यदि संसार ही बढ़ाना है तो बिखरा तो पडा है , सराफ की दूकान में शराब क्या खोजता है ?

यदि तू संसार से उब गया हो , 
त्रस्त हुआ हो , 
अब तुझे कहीं और कोई आकर्षण न रहा हो , 
संसार में दुःख ही दुःख दिखाई देता हो , 
यदि तू अब सच्चे सुख की तलाश में हो , 
तो धर्म की शरण में आ !
तेरा कल्याण होगा 

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