बेखौफ़ यूं तीर ना छोड़ो ,तरकस किसी के खाली नहीं हें
(कविता)
- परमात्म प्रकास भारिल्ल
बेखौफ़ यूं तीर ना छोड़ो ,तरकस किसी के खाली नहीं हें
(कविता)
- परमात्म प्रकास भारिल्ल
बेखौफ़ यूं तीर ना छोड़ो ,तरकस किसी के खाली नहीं हें
तीरों के बदले फूल नहीं बरसेंगे , हर कोई माली नहीं है
माली ! काँटों की चुभन खुद पचाकर ,सौरभ लुटाता है
पर ये जमाना सौरभ में खोकर, माली को भूल जाता है
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