Wednesday, December 31, 2014

यह देखना महत्वपूर्ण है कि हम अपने दिनभर के क्रियाकर्मों में कुछ उपलब्ध भी करते हें या नहीं या कहीं हम रोज ही कोई नया संकट और व्याधी तो नहीं पैदा करते हें.

इस बात पर नजर रखना महत्वपूर्ण है कि हमारे आजके दिन का output क्या है .
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परमात्म प्रकाश भारिल्ल

हमारे नित्यकर्म तो वे maintainance ctivities हें जो जीवन को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए जरूरी हें, पर वे कोई उस दिन की उपलब्धियां नहीं हें. उक्त गतिविधियों के शिवाय दिन में और क्या किया है वह हमारी उपलब्धियों की श्रेणी में आ सकता है पर उसमें यह देखना जरूरी है कि वे कथित उपलब्धियां हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण हें, महत्वपूर्ण हें भी या नहीं ?
घास और भूसा पैदा होना हमारी खेती की उपलब्धी तो कहला सकता है पर है कितनी महत्वपूर्ण ? क्या कोई घास पैदा करने के लिए खेती करता है ? घास तो कहीं भी अपनेआप उग आती है.
खेत में उगी हर वस्तु मात्र उपलब्धी (asset) ही नहीं हुआ करती है वह liability भी हो सकती है. खरपतबार का उगना तो खेती की उपलब्धी हो ही नहीं सकता,वह तो खेती पर संकट है.इसी प्रकार नित्यकर्म के अलावा भी दिन में घटित होने वाली कोई घटना और उसका परिणाम भी हमारे लिए कोई छोटी या बड़ी उपलब्धी ही हो यह जरूरी नहीं, वह एक संकट या liability भी हो सकती है.
अब यह देखना महत्वपूर्ण है कि हम अपने दिनभर के क्रियाकर्मों में कुछ उपलब्ध भी करते हें या नहीं या कहीं हम रोज ही कोई नया संकट और व्याधी तो नहीं पैदा करते हें.
यदि हम अपने दिनभर में अपने लिए कोई सार्थक उपलब्धी नहीं करते हें तो हमारा वह दिन हमारे स्वयं के ऊपर, परिवार, समाज एवं देश के ऊपर बोझ है; क्योंकि हम इन सब के द्वारा प्रदत्त साधन और सुविधाओं का उपयोग तो निरंतर कर रहे हें पर उसके बदले में कोई उत्पादन नहीं कर रहे हें,जो उनके काम आ सके.
उक्त स्थिति के विपरीत यदि हम अपने दिन में ऐसा कोई उत्पादक कार्य करते हें जो स्वयं हमारे लिए , परिवार के लिए, समाज और देश के लिए किसी काम आसके, उनके उत्थान में सहायक हो सके तो हम और हमारा वह दिन सभी के लिए asset की श्रेणी में आयेगा.
हमारे चिंतन का बिषय होना चाहिए कि हम किस श्रेणी में आते हें और हमें यह तय भी करना चाहिए कि हमें क्या बनना है, liability या asset ? 

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