Saturday, October 17, 2015

परमात्म नीति - (65) - महानलोग निष्ठावान (loyal & devoted) होते हें

कल आपने पढ़ा -

"
महानलोग प्रतिबद्ध (committed) होते हें"
अब आगे पढ़िए 
परमात्म नीति - (65)

by- परमात्म प्रकाश भारिल्ल


महानलोग निष्ठावान (loyal & devoted) होते हें -

इसी आलेख से -

- महानलोग अपने सहयोगियों, सिद्धांतों और कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान होते हें.
निष्ठा एक महान गुण है और उनकी यही निष्ठा उन्हें विशिष्ट व महान बनाती है. 

- निष्ठा (loyalty & devotion) के बिना क्षमता एवं योग्यता किसी भी काम की नहीं, किसी के काम की नहीं. 


- निष्ठावान होना किसी अन्य गुण से ज्यादा महत्वपूर्ण है.

- निष्ठा मात्र व्यक्ति के प्रति ही नहीं होती, यह अपने सिद्धांतों और कर्तव्यों के प्रति भी होती है.
अपने सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान व्यक्ति विश्वसनीय होता है और कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान व्यक्ति निर्भर रहने योग्य (dependable).

- ऐसा व्यक्ति जिसके कर्तृत्व के बारे में कुछ भी सुनिश्चित ही न हो किसी के भला किस काम का हो सकता है. वह तो स्वयं पर और इस धरती पर बोझ मात्र है.

- उक्त प्रकार के निष्ठाहीन चरित्र वाले व्यक्ति को कभी भी अपने श्रम, योग्यता (हुनुर) और कर्तृत्व का सम्पूर्ण प्रतिफल भी नहीं मिल पाता है क्योंकि उसके कार्य और गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किसी विश्वसनीय व्यक्ति की नियुक्ति करनी पड़ती है, जो कि उसके प्रतिफल (reward, remuneration) को बाँट ले जाता है.







सामान्यजन के विपरीत महानलोग अपने सहयोगियों, सिद्धांतों और कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान होते हें.
निष्ठा एक महान गुण है और उनकी यही निष्ठा उन्हें विशिष्ट व महान बनाती है. 

- अपने सहयोगियों के प्रति निष्ठावान होने से वे अत्यंत विश्वसनीय होते हें.
- अपने सिद्धान्तों के प्रति निष्ठावान होने से उनका व्यक्तित्व रेखांकित किया जा सकता है, कोई भी प्रबुद्ध व्यक्ति यह जान सकता है कि इस बिषय में उनकी राय क्या होगी.
- अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा उन्हें निर्भर रहने योग्य बनाती है. यदि उन्होंने कोई काम करना स्वीकार कर लिया है तो अब निश्चित ही वह कार्य अपने निर्धारित समय पर, सही प्रकार से सम्पन्न हो जाएगा, ऐसा विश्वास करके निश्चित हुआ जा सकता है.

निष्ठा (loyalty & devotion) के बिना क्षमता एवं योग्यता किसी भी काम की नहीं, किसी के काम की नहीं. 


यदि आपका कोई सहयोगी आपके प्रति निष्ठावान नहीं है तो उसकी प्रतिभा कभी आपके विरुद्ध भी उपयोग में लाई जा सकती है, क्योंकि आज वह आपके साथ है पर हो सकता है कल आपके विरोधी या प्रतिद्वंद्वी के साथ खड़ा होजाए.
यही बात आप पर भी लागू होती है, यदि आप किसी के प्रति निष्ठावान नहीं हें तो बाबजूद अपनी समस्त प्रतिभावों के आप उसके लिए उपयोगी नहीं रहते हें. 
उक्त सन्दर्भ में यदि विचार किया जाए तो हम पायेंगे कि निष्ठावान होना किसी अन्य गुण से ज्यादा महत्वपूर्ण है.

निष्ठा मात्र व्यक्ति के प्रति ही नहीं होती, यह अपने सिद्धांतों और कर्तव्यों के प्रति भी होती है.
अपने सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान व्यक्ति विश्वसनीय होता है और कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान व्यक्ति निर्भर रहने योग्य (dependable).

जो व्यक्ति अपने सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान नहीं है उसका चरित्र (व्यक्तित्व) सुनिश्चित नहीं हो सकता है, वह आज कुछ और है व कल कुछ और भी हो सकता है. ऐसी स्थिति में कोई कैसे निर्णय करे कि वह उसके काम का व्यक्ति है या नहीं, विश्वसनीय और निर्भर करने योग्य है या नहीं, क्योंकि वहतो आज कुछ और है और कल कुछ और.
इस प्रकार का व्यक्ति अपना महत्व खो देता है.

सर्वसामान्य लोग अपने कर्तव्य के प्रति ही गंभीर नहीं होते हें, उनके कार्य में कुछ न कुछ कमियाँ बनी ही रहती हें और इसलिए उन्हें अपने कर्तृत्व का उचित प्रतिसाद भी नहीं मिलता है. 
मानलीजिये उसने कोई पकवान बनाया और उसमें नमक थोड़ा कम डाला तो मेहनत तो पूरी हुई, सामग्री भी पूरी लगी पर दो कौंड़ी का नमक कम रह जाने से पकवान ही वेस्वाद रह गया. 
ज़रा कल्पना तो कीजिये कि नमक थोड़ा कम रहने की जगह थोड़ा अधिक डल जाता तो क्या होता? 
यदि नमक की जगह मिर्ची दुगुनी डल जाती तो क्या होता? 
तबतो कोई उसे खाना तो दूर चख भी न पाता. 
अब ऐसा व्यक्ति जिसके कर्तृत्व के बारे में कुछ भी सुनिश्चित ही न हो किसी के भला किस काम का हो सकता है. वह तो स्वयं पर और इस धरती पर बोझ मात्र है.
क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को अपना ड्राइवर बनाना पसंद करेंगे जिसके बारे में यह विश्वास ही न हो कि वह सही समय पर आपको सुरक्षित अपने सही गंतव्य तक पहुंचा देगा.

उक्त प्रकार के निष्ठाहीन चरित्र वाले व्यक्ति को कभी भी अपने श्रम, योग्यता (हुनुर) और कर्तृत्व का सम्पूर्ण प्रतिफल भी नहीं मिल पाता है क्योंकि उसके कार्य और गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किसी विश्वसनीय व्यक्ति की नियुक्ति करनी पड़ती है, जो कि उसके प्रतिफल (reward, remuneration) को बाँट ले जाता है.

इसप्रकार सबकुछ देकर भी उस निष्ठाविहीन व्यक्ति को कुछ भी नहीं मिलता है.

महान लोग अपने काम निष्ठा पूर्वक करते हें इसलिए वे सफल होते हें.

आगे पढ़िए -


"महानलोग प्रयोजन की सिद्धी के लिए कार्य करते हें, दिखावे के लिए नहीं "


कल 


 

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उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.

घोषणा 


यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.

यह क्रम जारी रहेगा. 

 



- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

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