Friday, October 16, 2015

परमात्म नीति - (64) - वे प्रतिबद्ध (committed) होते हें

कल आपने पढ़ा -


"महानलोग अपनी गल्तियों से सीखते हें "

अब आगे पढ़िए 
परमात्म नीति - (64)

by- परमात्म प्रकाश भारिल्ल



महानलोग प्रतिबद्ध (committed) होते हें  -


इसी आलेख से -

"प्रतिबद्धता (commitment) के साथ आपकी क्षमता और योग्यता सबकुछ है पर प्रतिबद्धता (commitment) के बिना वह कुछ भी नहीं, किसी काम की नहीं , किसी के काम की नहीं."







महानलोग यदि कोई जिम्मेदारी स्वीकार करते हें तो वे उसके प्रति प्रतिबद्ध होते हें. यदि उनसे सम्भव न हो तो वे कोई जिम्मेदारी स्वीकार ही नहीं करते हें.

प्रतिबद्धता (commitment) के साथ आपकी क्षमता और योग्यता सबकुछ है पर 
प्रतिबद्धता (commitment) के बिना वह कुछ भी नहीं, किसी काम की नहीं , किसी के काम की नहीं.
यदि आप प्रतिबद्ध हें तो लोग आप पर निर्भर (can depend upon you) रह सकते हें पर यदि आप प्रतिबद्ध नहीं है तो कोई कैसे आप पर निर्भर होकर बैठ सकता है?
यदि कोई आप पर निर्भर नहीं कर सकता है तो उसे दूसरी व्यवस्था करनी ही होगी जो विश्वसनीय हो और जिस पर निर्भर रहा जासके, तब आपकी कोई उपयोगिता नहीं रहेगी.

सामान्य लोग भी कुछ न कुछ तो करते ही हें, पर अपने कर्तृत्व और कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध नहीं होते. जब चाहा तब कुछ कर लिया, नहीं किया तो नहीं किया, कुछ हो गया तो ठीक, नहीं हुआ तो ठीक, जैसा हो गया वही ठीक. 
ऐसे लोग और उनकी उपलब्धियां महान नहीं हो सकती हें क्योंकि कोई उनके ऊपर निर्भर नहीं रह सकता है. 
महान लोग जो जिम्मेदारी स्वीकार करते हें तो उसके प्रति प्रतिबद्ध होते हें, वे हर कीमत पर उसका निर्बाह करते हें, लोग उनके ऊपर निर्भर रहते हें, उनपर भरोसा करते हें इसलिए उन्हें अपने कर्तृत्व का प्रतिसाद मिलता है.

क्या आप खरीदारी करने के लिए ऐसी किसी दूकान पर जाना पसंद करेंगे जिसके बारे में भरोसा नहीं कि खुली भी हो या न भी खुली हो, यदि खुली भी हो तो इक्षित वस्तु उपलब्ध हो या न हो, यदि मिल भी जाए तो पता नहीं वह कितना दाम मांगने लगे ?
नहीं न ?


आगे पढ़िए -


"
महानलोग निष्ठावान (loyal & devoted) होते हें"

कल 


 

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उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.

घोषणा 


यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.

यह क्रम जारी रहेगा. 

 



- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

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