Wednesday, January 4, 2012

इसलिए अक्षर ज्ञान विहीन लोगों को अशिक्षित कहना सही नहीं होगा , आखिर तो उन्होंने भी जीवन जीना सीखा ही है , वे जीवन संघर्ष के विजेता हें , तभी तो वे जीवित हें और फिर जीवन की कला में भी वे माहिर हें और एक सम्पूर्ण जीवन जीते हें , तब कैसे वे अशिक्षित कहे जा सकते हें भला ?

continued from last post -


यदि गहराई से विचार किया जाए तो धन की गरीबी 


और भ्रष्टाचार और अक्षर ज्ञान की अशिक्षा कोई बड़ी 


समस्या है ही नहीं क्योंकि -धन की गरीबी दूर करने के 


लिए तो प्रत्येक व्यक्ति स्वयं ही अत्यन्र अधीर है और 


दिन रात इन्ही प्रयत्नों में लगा रहता है क़ि कैसे 


अधिकतम धन एकत्र कर सके .

जो प्रयत्न करेगा वह एक दिन तो पा ही लेगा . फिर 


उसकी मदद के लिए परिवार , समाज और सरकार तो है 


ही है .और धन के भ्रष्टाचार से तो हम सभी परेशान हें 


ही , आज कौन नहीं चाहता क़ि देश और समाज से यह 


महाव्याधि समूल नष्ट हो जाए .

और अशिक्षा ? कौन कहता है क़ि हमारे देश और 


समाज में अशिक्षा है ?

क्या मात्र अक्षर ज्ञान ही शिक्षा कहलाता है ?

नहीं अक्षर ज्ञान तो शिक्षा का एक छोटा सा हिस्सा है 


और सभी लोगों को अक्षर ज्ञान हो तो बहुत ही अच्छा है 


पर यदि नहीं है तो कोई बहुत बड़ा अनर्थ नहीं हो जाएगा .
अक्षर ज्ञान तो मात्र विचारों के आदान प्रदान का एक 


माध्यम है पर यह एक मात्र माध्यम नहीं है अन्य 


अनेकों माध्यम हें जिनकी सहायता से हम लोग अत्यंत 


ही प्रभावशाली सम्प्रेषण कर लेते हें .

बस यह़ी महत्वपूर्ण है , इसलिए अक्षर ज्ञान विहीन 


लोगों को अशिक्षित कहना सही नहीं होगा , आखिर तो 


उन्होंने भी जीवन जीना सीखा ही है , वे जीवन संघर्ष के 


विजेता हें , तभी तो वे जीवित हें और फिर जीवन की 


कला में भी वे माहिर हें और एक सम्पूर्ण जीवन जीते हें 


, तब कैसे वे अशिक्षित कहे जा सकते हें भला ?

यूं भी समाज और सरकार ने कितनी ही पांच बर्षीय 


योजनायें बनाई हें गरीबी , भुखमरी और अशिक्षा के 


उन्मूलन के लिए पर वे सफल कहाँ हो पाते हें ?

मेरे पास एक ऐसा फार्मूला है क़ि यह सब काम चुटकियाँ 


बजाते एक दिन में हो सकता है .

क्यों ? विश्वास नहीं होता ?

अरे ! यदि पृथ्वी का प्रत्येक व्यक्ति यदि यह तय करले 


क़ि आज मैं भूँखा नहीं सोउंगा , तो एक दिन में पृथ्वी 


की सारी भुखमरी दूर हो जायेगी , कोई व्यक्ति कभी 


भूँखा नहीं सोयेगा .

यह़ी बात रोजगार , शिक्षा और भ्रष्टाचार पर भी लागू 


होती है .

जो काम समाज और सरकारें कभी नहीं कर सकतीं हें 


वह काम हम और तुम स्वयं बहुत ही आसानी से कर 


सकते हें .

To be continued -

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