चमत्कार करने का प्रयास महानता है या अपराध ?
क्या किसी कृत्य को चमत्कार साबित करने का प्रयास छल नहीं है ?
चमत्कार किसे कहते हें ?
जो अस्वाभाविक हो।
स्वाभाविक रूप से तो अनंतों बड़ी - बड़ी घटनाएं निरंतर होती ही रहती हें , उन्हें तो बच्चा - बच्चा जानता है , उन्हें कोई चमत्कार नहीं मानता।
अस्वाभाविक सी दिखने वाली ( अस्वाभाविक कुछ होता तो है नहीं, हो ही नहीं सकता , जो दिखता है वह तो भ्रम ही हो सकता है, जो होता है वह तो स्वाभाविक ही होता है ) छोटी से छोटी घटना चमत्कार सी लगती है।
चमत्कृत होना तो अज्ञान की स्वीकृति है , बस हमें पता नहीं था कि ऐसा भी होता है , ऐसा भी हो सकता है , बस इसलिए ऐसा हो जाने पर हमें आश्चर्य होता है।
चमत्कार दिखाना छल है और चमत्कृत होना अज्ञान , दोनों ही अपराध हें।
अब जो वस्तु स्वभाव के विपरीत ( यानी की प्रकृति के क़ानून के विरुद्ध ) कुछ करने का प्रयास करे ( क्योंकि कर तो सकता ही नहीं है , सिर्फ प्रयास कर सकता है ) तो वह क्या कहलायेगा ?
महानता या अपराध ?
क़ानून के विरूद्ध कार्य को क्या कहते हें ?
ऐसे काम करने वालों के साथ क्या व्यवहार किया जाता है ?
पर हम तो बस ऐसे ही लोगों को महान बतलाकर उनका महिमामंडन करते हें।
जो हो नहीं सकता है , वह तो हो ही नहीं सकता है , जो हुआ है वह हो सकता था इसलिए हुआ है।
हमें पता नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है , इसी लिए होने पर हमें आश्चर्य होता है।
हम भी कैसे हें ?
इतनी बड़ी - बड़ी घटनाएं घटती हें और हमें कुछ नहीं लगता और छोटी - छोटी बातों को हम सर पर उठा लेते हें।
अरे एक गाँव/शहर के बराबर जहाज पानी पर तैरता रहता है और हमें फर्क ही नहीं पड़ता है , पर एक छोटा सा पत्थर सा दिखने बाला पिंड यदि कुछ ही पलों के लिए तैरता सा लगे तो हम उसे चमत्कार - चमत्कार कहकर प्रचारित करने लगते हें।
अरे धरती हिल जाती है और हम चकित नहीं होते पर मंदिर के छत्र यदि हिल जाएँ ( भ्रम ही हो जाए ) तो हम टूट पड़ते हें।
अरे ! क्या बड़ी बात है ?
जो काम हवा का एक हल्का सा झोंका कर सकता है उसके लिए किसी चमत्कार की क्या जरूरत है ?
ऐसा कोई कृत्य चमत्कार हो भी कैसे सकता है ?
ज़रा विचार तो कीजिये !
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