Saturday, April 20, 2013

हमें जो भी प्राप्त है , वह पर्याप्त है .कुछ और पाने की चाह हमारे अन्दर छुपी हुई भिक्षावृत्ति है .

यह हमारे अन्दर छुपी हुई भिक्षा वृत्ति और चौर्य वृत्ति (चोरी की भावना) ही है जो हमें असंतुष्ट रखती है , परेशान और वेचैन किये रहती है , वर्ना हम अपने आप में सम्पूर्ण हें , हममें कोई कमी नहीं है , हमारे पास कोई कमी नहीं है
हमें जो भी प्राप्त है , वह पर्याप्त है .

कुछ और पाने की चाह हमारे अन्दर छुपी हुई भिक्षावृत्ति है .
हमारी यह भिक्षा वृत्ति कालान्तर में चौर्य वृत्ति (चोरी का स्वभाव ) भी बन सकती है .
जब हमें यह लगे कि हमारे पास यह कम है , हममें वह कमी है , तब हम उनपर ( उन अनेकों लोगों पर ) नजर डालें जिनके पास भी यह नहीं है , जिनके पास और भी बहुत कुछ नहीं है (जो हमारे पास है ) फिर भी वे सफल हें , वे मात्र सफलता पूर्वक जीवन ही नहीं जी रहे हें वल्कि जीवन में निरंतर आगे बढ़ रहे हें .
अरे जीवन जीने की आवश्यकताएं तो बहुत ही कम हें , हमारे पास उपलब्ध साधनों से बहुत ही कम , नगण्य मात्र .
जीवन तो सब ही जीते हें न , प्राणी मात्र .
एक कोशीय ( unicellular ) जीव से लेकर यह मानव तक .
सभी सफलता पूर्वक जीवन जीते हें , अपना जीवन पूरा करते हें , तब तुझमें क्या कमी है ? तेरे पास क्या कम है ?
आवश्यकता तो है सही उपयोग की .
जो हमारे पास है बस हम उसका ही सही और पूरा उपयोग कर पायें तो चमत्कारिक परिणाम सामने आयेंगे , आप और दुनिया देखती रह जायेगी .
सचमुच तो जो हमारे पास है हम उसका शतांश भी उपयोग नहीं कर पाते हें , इसलिए कुछ और जुटाने का प्रयास करना हमारा काम नहीं है , हमारी आवश्यकता भी नहीं है , जो उपलब्ध है उसका सही उपयोग हमारी आवश्यकता है .
हमें यह समझना होगा , स्वीकार करना होगा .
यदि यह हो गया तो हमारा ९० प्रतिशत काम तो हो गया .

No comments:

Post a Comment