Saturday, April 20, 2013

Parmatm Prakash Bharill: हमें जो भी प्राप्त है , वह पर्याप्त है .कुछ और पान...

Parmatm Prakash Bharill: हमें जो भी प्राप्त है , वह पर्याप्त है .कुछ और पान...: यह हमारे अन्दर छुपी हुई भिक्षा वृत्ति और चौर्य वृत्ति (चोरी की भावना) ही है जो हमें असंतुष्ट रखती है , परेशान और वेचैन किये रहती है , वर्ना...

No comments:

Post a Comment