Monday, April 22, 2013

यदि हम अपने जीवन के इस प्रवाह को किसी सार्थक दिशा में मोड़ सकें तो हम इस जीवन में , इस जीवन से कुछ हासिल कर सकते हें .


वरना संसार समुद्र तो है ही .

नदी में पानी बहता ही रहता है और बहता हुआ पानी प्रतिपल समुद्र की और बढता जाता है .
नदी के उस बहते हुए पानी की नियति निश्चित है कि उसे एक दिन समुद्र में गिरना है , यदि बीच में ही वह अपना मार्ग न बदल दे और अपने आपको किसी और काम में न लगा दे .
बुद्धिमान लोग नदियों पर बाँध बनाकर उस बहते हुए पानी का प्रवाह खेतों की ओर मोड़ देते हें , वह पानी समुद्र के खारे पानी में मिल जाने से बच जाता और उत्पादन में काम आता है .
नदी के पानी की ही तरह हमारा जीवन भी बह रहा है ,काल के प्रवाह क्रम में , निरंतर , म्रत्यु की ओर .
एक पल बीतता है और हम एक पल म्रत्यु के पास आ जाते हें और एक दिन -----------------
यदि हम अपने जीवन के इस प्रवाह को किसी सार्थक दिशा में मोड़ सकें तो हम इस जीवन में , इस जीवन से कुछ हासिल कर सकते हें .
वरना संसार समुद्र तो है ही .

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