Saturday, May 4, 2013

Parmatm Prakash Bharill: अरे ! हम सभी तो एक जैसे ही हें ! वही भूंख-प्यास , ...

Parmatm Prakash Bharill: अरे ! हम सभी तो एक जैसे ही हें ! वही भूंख-प्यास , ...: जब तू अपने दुखड़े सुनाने बैठता है तो कोई अनोखा या अजूबा काम नहीं करता है , तू नहीं कहे तब भी हम समझते हें , हम ही क्या सब ही जानते-समझते हे...

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